प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक खेती का किया आह्वान, कहा -” यह आर्थिक सफलता के लिए भी आवश्यक है”

अहमदाबाद. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाने संबंधी जन-आंदोलन आने वाले वर्षों में काफी सफल रहेगा और जितनी जल्दी किसान इस बदलाव से जुड़ेंगे, उतने ही अधिक उन्हें इसके फायदे मिलेंगे. प्रधानमंत्री ने गुजरात के सूरत में प्राकृतिक खेती पर आयोजित एक सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ की अभूतपूर्व सफलता का भी उल्लेख किया और कहा कि यह देश की ओर से उन लोगों को जवाब है, जो कहा करते थे कि गांवों में बदलाव लाना आसान नहीं है.

मोदी ने कहा, ‘‘हमारे गांवों ने दिखा दिया है कि वे ना सिर्फ बदलाव ला सकते हैं बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि मिट्टी की गुणवत्ता और इसकी उत्पादकता का संरक्षण करते हुए प्राकृतिक खेती को अपनाना धरती माता की सेवा करने के समान है तथा यह ‘‘आर्थिक सफलता के लिए भी आवश्यक है.’’ इस दिशा में सूरत में की गई कोशिशों की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि सूरत से प्राकृतिक खेती की उभर रही पद्धति पूरे देश के लिए एक प्रारूप बन गयी है.

उन्होंने कहा, ‘‘प्राकृतिक खेती के लिए यह जन-आंदोलन आने वाले वर्षों में भी व्यापक रूप से सफल होगा. जितनी जल्दी किसान इससे जुड़ेंगे, उतनी जल्दी उन्हें इसके फायदे मिलेंगे.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि देश के लोग कोई लक्ष्य हासिल करने के प्रति दृढ़ हो जाएं तो रास्ते में कोई बाधा नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि लोगों की भागीदारी ने बड़े कार्य की सफलता सुनिश्चित की है.उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती ने देश के हजारों वर्षों के ज्ञान एवं अनुभव को साझा कर भारत को सतत विकास एवं शुद्ध भोजन की दिशा में विश्व का नेतृत्व करने का एक अवसर दिया है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत ने सदियों से विश्व का नेतृत्व किया है. इसलिए, अब समय आ गया है कि हम प्राकृतिक खेती की राह पर आगे बढ़ें और उभरते वैश्विक अवसरों का पूरा लाभ उठाएं.’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमारे किसानों की प्रगति और समृद्धि होने पर हमारी कृषि की प्रगति होगी. जब आप प्राकृतिक खेती करते हैं तो आप प्रकृति एवं पर्यावरण की सेवा करते हैं. जब आप प्राकृतिक खेती करते हैं तब आपको गौमाता की सेवा करने का भी विशेषाधिकार मिलता है. ’’

उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के मद्देनजर देश ने इस तरह के कई लक्ष्यों पर काम करना शुरू किया है. उन्होंने कहा, ‘‘अमृत काल में देश की प्रगति का आधार हर किसी द्वारा किये जाने वाले प्रयास हैं, जो हमारी विकास यात्रा का नेतृत्व कर रहा है. ’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासियों और ग्राम पंचायतों को गांवों, गरीबों और किसानों के उत्थान के लिए किये जाने वाले कार्य करने को कहा गया है.

उन्होंने कहा कि साथ ही प्राकृतिक खेती से होने वाले फायदे लोगों को रसायनों के उपयोग से होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाने में भी मदद करेंगे. प्रधानमंत्री ने ‘परंपरागत कृषि विकास स्कीम’ जैसी योजनाओं के जरिये प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि लाखों किसानों के फायदे के लिए इस योजना के तहत देशभर में 30,000 क्लस्टर तैयार किये गये हैं.

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को नमामी गंगे परियोजना से भी जोड़ा गया है और गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक खेती गलियारा तैयार करने के लिए एक अलग अभियान शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि तापी और नर्मदा नदियों के तटों पर इसी तरह के प्रयोग किये जा सकते हैं.

मोदी ने कहा कि सरकार ने प्राकृतिक खेती की उपज को सत्यापित करने के लिए एक गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली विकसित की है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे किसान अच्छी दर पर विश्व बाजार में इस तरह के उत्पाद का निर्यात कर रहे हैं. ’’ उन्होंने गैर सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों से प्राकृतिक खेती पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की.

मोदी ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सूरत में लोगों द्वारा किये गये प्रयासों की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि सूरत में ग्राम स्तर पर समितियां और दलों का गठन किया गया है तथा तालुका स्तर पर नोडल अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आज, इतने कम समय में, 550 ग्राम पंचायतों के 40,000 से अधिक किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं.’’

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