उद्धव खेमे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर अभी कोई फैसला नहीं हो: न्यायालय

नयी दिल्ली. उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले खेमे के शिवसेना विधायकों को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा के नव-निर्वाचित अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से कहा कि ठाकरे नीत धड़े के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका पर कोई फैसला नहीं लिया जाए. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खेमे ने विश्वास मत और विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के दौरान पार्टी व्हिप का उल्लंघन किये जाने के आधार पर यह मांग की थी.

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने के बाद, ठाकरे गुट ने शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की हैं. प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कपिल सिब्बल के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलों पर गौर किया, जिनमें कहा गया था कि उद्धव ठाकरे धड़े की ओर से दायर अनेक याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है जिन्हें सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना है.

सिब्बल ने कहा, ‘‘अदालत ने कहा था कि याचिकाओं को 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा. मैं अनुरोध करता हूं कि मामले में यहां निर्णय होने तक अयोग्यता संबंधी कोई फैसला ना किया जाए.’’ उन्होंने यह भी कहा कि बागी विधायकों ने जब शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था तो उन्हें संरक्षण प्रदान किया गया था.

सिब्बल ने कहा, ‘‘हमारी अयोग्यताओं संबंधी याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष कल सुनवाई करने वाले हैं…मामले पर सुनवाई पूरी होने तक किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए. इन मामलों पर यहां (शीर्ष अदालत में) फैसला होना चाहिए.’’ पीठ ने कहा, ‘‘श्रीमान मेहता (राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता), आप कृपया विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करें कि वह इस संबंध में कोई सुनवाई ना करें. मामले पर सुनवाई हम करेंगे.’’ इसके बाद, राज्यपाल भगत ंिसह कोश्यारी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष तक यह संदेश पहुंचा देंगे.

अदालत ने कहा कि पीठ का गठन करके मंगलवार के बाद मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. उद्धव ठाकरे नीत धड़े ने तीन और चार जुलाई को हुई महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही की वैधता को भी चुनौती दी है, जिसमें विधानसभा के नए अध्यक्ष का चयन किया गया था और इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शक्ति परीक्षण में बहुमत साबित किया था.

इससे पहले, ठाकरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने मुख्यमंत्री और 15 बागी विधायकों को विधानसभा से निलंबित करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं. उच्चतम न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ ने 27 जून को शिंदे गुट को राहत प्रदान करते हुए 16 बागी विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने की अवधि 12 जुलाई तक बढ़ा दी थी.

महाराष्ट्र के राज्यपाल के शक्ति परीक्षण का आदेश देने के बाद 29 जून को महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था. अदालत के राज्यपाल के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

एकनाथ शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जिसके बाद प्रभु ने उन पर और 15 बागी विधायकों पर ‘‘भाजपा के प्यादों के तौर पर काम करने, दलबदल कर संवैधानिक पाप करने’’ जैसे आरोप लगाए तथा उनके निलंबन की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.

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