न्यायालय ने दंगा मामलों में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की दोषसिद्धि पर रोक लगाई

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने दंगा और आगजनी के एक मामले में गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल की दोषसिद्धि पर मंगलवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि यह उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने के लिए एक उपयुक्त मामला होता।

वरिष्ठ अधिवक्ता मंिनदर ंिसह ने मामले सुनवाई की शुरुआत में अभिवेदन दिया कि पटेल को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक उल्लंघन है। मैं 2019 में चुनाव लड़ने का एक मौका पहले ही गंवा चुका हूं। हम अनुच्छेद 19(एक)(ए) के तहत अपने अधिकारों को लागू कराने के लिए आपके समक्ष आए हैं। उन्होंने पुलिस बल का दुरुपयोग किया है। मुझे नहीं पता कि उनका क्या कहना है, लेकिन महामहिम को जल्द ही इस मामले में फैसला करना चाहिए।’’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषसिद्धि के लिए बुनियादी मानदंड निर्धारित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आपराधिक कानून में, किसी मानक दिशानिर्देश के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि कौन सा सही है। आप इसे तय कर सकते हैं।’’ इसके बाद पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा, ‘‘तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद हमारा मानना है कि यह उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने का एक उचित मामला होता। दोषसिद्धि पर तब तक रोक लगाई जाती है, जब तक कि अपीलों पर तदनुसार निर्णय नहीं लिया जाता है।’’

शीर्ष अदालत पटेल द्वारा गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध किया गया था, ताकि वह 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ सकें। पटेल ने एक सत्र अदालत द्वारा 25 जुलाई, 2018 को पारित दोषसिद्धि आदेश को निलंबित करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने उच्च न्यायालय के 29 मार्च के उस आदेश की वैधता को भी चुनौती दी थी, जिसमें उसने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

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