JNU में राम नवमी पर हिंसा के मामले में सरकार ने रिपोर्ट मांगी, छात्रसंघ ने न्यायिक जांच की मांग की

नयी दिल्ली. रामनवमी पर छात्रों के दो समूहों के बीच संघर्ष के मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से रिपोर्ट मांगी है, वहीं विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने मामले में किसी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई वाले आयोग से स्वतंत्र न्यायिक जांच कराने की मांग की है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कावेरी छात्रावास में रविवार को वामपंथी छात्र संगठन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से संबद्ध दो समूहों के बीच ‘मेस’ में रामनवमी पर कथित तौर पर मांसाहारी भोजन परोसे जाने को लेकर झड़प हो गई थी. पुलिस के अनुसार इस झड़प में 20 विद्यार्थी घायल हो गये थे. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष और जेएनयू के पूर्व कुलपति जगदीश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसरों में किसी भी प्रकार की ंिहसा से बचा जाना चाहिए.

सोमवार को दोनों छात्र गुटों ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. वहीं जेएनयू के प्राधिकारियों ने दावा किया कि संघर्ष उस समय हुआ जब कुछ छात्रों ने ‘हवन’ का विरोध किया. ऐसा ही आरोप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एबीवीपी ने लगाया है. हालांकि वाम सर्मिथत छात्र संगठनों की अगुवाई वाले जेएनयू छात्र संघ ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के सदस्यों ने मेस में मांसाहारी भोजन परोसे जाने का विरोध करते हुए छात्रों पर हमला किया.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हालात शांत होने पर पुलिस पीड़ितों के बयान दर्ज करेगी. जेएनयू की घटना के खिलाफ यहां जामिया मिलिया इस्लामिया के बाहर छात्र संगठनों ने प्रदर्शन किया और कहा कि राम नवमी के नाम पर लोगों पर खाने की पसंद नहीं थोपी जा सकती. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘केवल जेएनयू में ही नहीं बल्कि राम नवमी पर गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी ंिहसा हुई. आप लोगों पर थोप नहीं सकते कि उन्हें क्या खाना चाहिए.’’ जेएनयू छात्रसंघ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धूलीपुडी पंडित से मिलने पहुंचा लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी. सुरक्षा अधिकारियों ने कुलपति से मुलाकात के लिए औपचारिक अनुरोध कर समय मांगने को कहा.

प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि विश्वविद्यालय 11 अप्रैल को जारी बयान वापस ले जिसमें उसने कहा कि जब कुछ छात्रों ने रविवार को राम नवमी के मौके पर शांतिपूर्ण तरीके से हो रहे ‘हवन’ का विरोध किया तो ंिहसा भड़क गयी. कावेरी छात्रावास के मेस में मांसाहारी खाने पर रोक की एकपक्षीय मांग के बाद ंिहसा की शुरुआत का दावा करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि छात्रावास समिति और मेस समिति के संबंधित सदस्यों ने इसकी पुष्टि की है.

जेएनयूएसयू के एक बयान के अनुसार, ‘‘हालांकि मांसाहारी भोजन परोसने पर रोक लगाने की मांग करने वाले और ंिहसक तरीके से मेस का कामकाज बाधित करने वाले एबीवीसी से जुड़े इन्हीं छात्रों ने छात्रावास परिसर में हवन को बाधित किये जाने की खबरें फैलाना शुरू कर दिया. इस दावे का छात्रावास या मेस समिति किसी ने समर्थन नहीं किया है.’’ उसने कहा कि जेएनयू प्रशासन के सोमवार को जारी प्रेस वक्तव्य में एबीवीपी के बयान का बिना किसी आधिकारिक जांच पड़ताल के समर्थन करना ‘अत्यंत शर्मनाक’ है.

इसमें कहा गया, ‘‘एक पक्ष का इस तरह भेदभावपूर्ण समर्थन विश्वविद्यालय प्रशासन को शोभा नहीं देता और इसलिए हम मांग करते हैं कि जेएनयू प्रशासन द्वारा 11 अप्रैल को जारी प्रेस विज्ञप्ति का तत्काल खंडन किया जाए.’’ छात्रसंघ ने मांग की कि जेएनयू प्रशासन इस मुद्दे पर फौरन कार्रवाई करे और स्वतंत्र तथा निष्पक्ष रुख अख्तियार करे.

इस बीच पिछले 25-30 साल से जेएनयू के छात्रावास के मेस के लिए मीट की आपूर्ति कर रहे अफजल अहमद ने दावा किया कि उन्हें रविवार सुबह फोन आया था और कहा गया कि राम नवमी के मौके पर कावेरी छात्रावास में मांस नहीं भेजना है. अहमद ने कहा, ‘‘10 अप्रैल को सुबह मुझे जेएनयू के कुछ छात्रों का फोन आया जिसमें मुझसे कावेरी छात्रावास में मीट की आपूर्ति नहीं करने को कहा गया. मैंने उन्हें बताया कि मुझे 9 अप्रैल को आॅर्डर मिला था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उन्होंने मुझे धमकाया कि अगर मैं छात्रावास में मीट की आपूर्ति करुंगा तो वे जेएनयू के अन्य छात्रावासों में आपूर्ति नहीं होने देंगे. मैंने उनसे कहा कि मैं आकर बात करुंगा.’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button