आकांक्षी जिलों के विकास को परखने के लिए सांस्कृतिक उत्थान को भी पैमाना बनाया जाए: बघेल

रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि आकांक्षी जिलों के विकास को परखने के लिए सांस्कृतिक उत्थान को भी पैमाना बनाया जाना चाहिए।

राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को यहां बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जिलों के विकास के प्रचलित मापदंडों में सांस्कृतिक उत्थान के तत्वों को भी शामिल किए जाने का सुझाव दिया है।

उन्होंने कहा है कि ‘ट्रांसफॉर्मेशन आॅफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम’ (टीएडीपी) के निगरानी संकेतकों में स्थानीय बोली में शिक्षा, मलेरिया, एनीमिया में कमी, वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीद, लोक कला, लोक नृत्य, पुरातत्व का संरक्षण-संवर्धन, जैविक खेती, वनाधिकार पट्टे आदि को शामिल किया जाना चाहिए।

बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुए खुशी है कि इन सभी मापदंडों पर छत्तीसगढ़ ने शानदार काम किया है।’’ मुख्यमंत्री ने लिखा, ‘‘हमारे राज्य में कुल 10 आकांक्षी जिले हैं, जिसमें आठ जिले अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में हैं, और उन आठ में से सात जिले बस्तर संभाग से हैं जो अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्र भी है और वामपंथी उग्रवाद से ग्रस्त हैं।

इन आकांक्षी जिलों के विकास को लेकर नीति आयोग द्वारा समय-समय पर समीक्षा और मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न मापदंड के आधार पर आकांक्षी जिलों के बीच श्रेणीकरण किया जाता है।’’

बघेल ने लिखा है कि वनांचल तथा ग्राम्य जीवन में संस्कृति और परंपराओं का विशेष योगदान होता है, जिससे वहां के लोगों के जीवन में समरसता, उत्साह और स्वावलम्बन का भाव रहता है। इसलिए आकांक्षी जिलों की अवधारणा में सांस्कृतिक उत्थान के बिन्दु को भी यथोचित महत्व और ध्यान दिया जाना चाहिए।

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