‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने संबंधी याचिका पर 26 जुलाई को सुनवाई

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने संबंधी याचिका की सुनवाई 26 जुलाई को करने को लेकर बुधवार को सहमति जता दी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर याचिका में ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने का केंद्र को निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया गया है.

रामसेतु, तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पंबन द्वीप और मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की बनी एक श्रृंखला है. प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने स्वामी की इन दलीलों पर गौर किया कि यह ‘‘महत्वपूर्ण तथा छोटा सा मामला है’’, जिसे सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘इसे मेरे सेवानिवृत्त होने के बाद सूचीबद्ध किया जाए.’’ इसके बाद, प्रधान न्यायाधीश ने याचिका को सुनवाई के वास्ते 26 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया.

स्वामी ने 23 फरवरी को भी इसी याचिका का उल्लेख करते हुए कहा था कि इस पर कई महीनों से सुनवाई नहीं हुई है और इसे कॉज लिस्ट (वाद सूची) से हटाया नहीं जाना चाहिए. स्वामी ने कहा था कि उन्होंने पिछले साल आठ अप्रैल को भी याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध किया था. जनवरी 2020 में शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह तीन महीने में स्वामी की याचिका पर सुनवाई करेगी.

भाजपा के नेता ने दलील दी थी कि वह मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं, जिसमें केंद्र ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था. उनके मुताबिक, संबंधित केंद्रीय मंत्री ने इस मांग पर विचार करने के लिए 2017 में एक बैठक बुलाई थी, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ.

स्वामी ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के पहले कार्यकाल में शुरू की गई विवादास्पद ‘सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना’ के खिलाफ अपनी जनहित याचिका में रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का मुद्दा उठाया था. शीर्ष अदालत ने 2007 में रामसेतु परियोजना के काम पर रोक लगा दी थी.

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