किसी शब्द पर प्रतिबंध नहीं; लेकिन सदस्यों को मर्यादा बनाये रखना चाहिए : बिरला

नयी दिल्ली. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसदीय कार्यवाही के दौरान किसी शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है बल्कि उन्हें संदर्भ के आधार पर कार्यवाही से हटाया जाता है तथा सभी सदस्य सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं .

बिरला ने उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया कि असंसदीय शब्दों के चयन में भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार का हाथ था.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायिका स्वतंत्र है और कार्यपालिका संसद को निर्देश नहीं दे सकती है. लोकसभा सचिवालय ने ‘‘ असंसदीय शब्द 2021 ’’ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, तानाशाह, भ्रष्ट, ड्रामा, अक्षम, पिठ्ठू जैसे शब्द शामिल हैं.

इस मुद्दे पर विवाद उत्पन्न होने के बाद बिरला ने स्थिति स्पष्ट करने के लिये संवाददाता सम्मेलन बुलाया और कहा कि असंसदीय शब्दों के संकलन की ऐसी पुस्तिका जारी करना 1954 से नियमित प्रथा है और इसमें राज्य विधानसभाओं की कार्यवाही से हटाये गए शब्दों को भी शामिल किया जाता है.

विपक्षी दलों द्वारा इस संबंध में विरोध जताए जाने के बाद बिरला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ किसी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं, कोई भी उस अधिकार को नहीं छीन सकता है, लेकिन यह संसद की मर्यादा के अनुसार होना चाहिए.’’ लोकसभा अध्यक्ष ने यह बात ‘असंसदीय’ के रूप में वर्गीकृत नए शब्दों को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं की आलोचना पर कही. उन्होंने कहा कि इसमें जिन शब्दों को कार्यवाही से हटाया गया है, उनमें सत्ता पक्ष द्वारा उपयोग किये गए शब्द भी हैं.

बिरला ने कहा, ‘‘ जिन शब्दों को कार्यवाही से हटाया गया है, उनमें विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों की ओर से उपयोग किये गए शब्द हैं. ऐसे में यह कहना उचित नहीं है कि विपक्ष द्वारा कहे गए शब्दों को चुंिनदा तरीके से हटाया गया है.’’ विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि संसदीय परिपाटी से अनजान लोग कई तरह की टिप्पणियां करते हैं, विधायिकाएं सरकार से स्वतंत्र होती हैं तथा सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं.

उन्होंने कहा कि संदर्भ और अन्य सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही से शब्दों को हटाने का निर्णय लिया गया था. बिरला ने आलोचना करने वालों से कहा कि उन्हें 1100 पन्नों का शब्दकोष पढ़ना चाहिए जिसमें असंसदीय शब्द हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे असंसदीय शब्दों की सूची 1954, 1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी की गई थी और वर्ष 2010 के बाद से यह हर वर्ष जारी की जाती है.

उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों ने ‘जुमलाजीवी’ और कई अन्य शब्दों को ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखे जाने को लेकर बृहस्पतिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे पुस्तिका में असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने वाले आदेश को नहीं मानेंगे. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू से आग्रह किया कि वे इस फैसले पर पुर्निवचार करें.

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