रूसी सैन्य कार्रवाई को कमजोर होते देख गठबंधन के विस्तार पर विचार कर रहा है नाटो

बर्लिन. उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई कमजोर होती नजर आ रही है. साथ ही उम्मीद जतायी कि यूक्रेन यह युद्ध जीत सकता है. नाटो के शीर्ष राजनयिक रविवार को र्बिलन में बैठक कर रहे हैं. नाटो के अधिकारी इस बैठक में यूक्रेन को और समर्थन प्रदान करने तथा रूस से खतरों के मद्देनजर पश्चिमी सैन्य गठबंधन में शामिल होने संबंधी फिनलैंड, स्वीडन और अन्य देशों के प्रयासों पर चर्चा करेंगे.

नाटो की उप महासचिव मिर्सिया जियोना ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘रूस का क्रूर आक्रमण धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है. हम जानते हैं कि यूक्रेन के लोगों और सेना की बहादुरी से और हमारी मदद से यूक्रेन इस युद्ध को जीत सकता है.’’ जियोना ने बैठक की अध्यक्षता की. दरअसल, नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग कोविड????-19 संक्रमण से उबर रहे हैं. जियोना ने कहा कि यूक्रेन के समर्थक एकजुट और मजबूत हैं तथा इस युद्ध को जीतने में यूक्रेन की मदद करना जारी रखेंगे.

र्बिलन में जिस एक प्रमुख मुद्दे पर चर्चा हो रही है, वह नाटो का उसके मौजूदा 30 सदस्य देशों से आगे विस्तार करना है. फिनलैंड और स्वीडन ने गठबंधन में शामिल होने की दिशा में पहले ही कदम उठाए हैं. वहीं मास्को की चेतावनी के बावजूद जॉर्जिया के नाटो का हिस्सा बनने के प्रयास पर भी चर्चा की गई. रूस ने अपने पड़ोसी देश जॉर्जिया के नाटो का हिस्सा बनने के परिणामों को लेकर सख्त चेतावनी दी है.

जियोना ने कहा, ‘‘फिनलैंड और स्वीडन पहले से ही नाटो के सबसे करीबी साझेदार हैं.’’ उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सहयोगी देश उनके आवेदनों को सकारात्मक रूप से देखेंगे. उन्होंने कहा कि जॉर्जियाई अधिकारियों को मैड्रिड में आगामी नाटो शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जाएगा. जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक ने कहा कि उनके देश और अन्य लोगों ने शनिवार देर रात एक रात्रिभोज के दौरान स्पष्ट किया कि वे फिनलैंड और स्वीडन के लिए राष्ट्रीय अनुसमर्थन प्रक्रिया को तेज करने के इच्छुक हैं.

एनालेना बारबॉक ने कहा कि यदि फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होना चाहते हैं तो वे जल्द ही इसमें शामिल हो सकते हैं.
डेनमार्क के विदेश मंत्री जीप्पे कोफोड ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोध के कारण नाटो में नए सदस्यों को शामिल करने में बाधा आएगी.

जीप्पे कोफोड ने संवाददाताओं से कहा, “प्रत्येक यूरोपीय देश को अपनी सुरक्षा व्यवस्था चुनने का मौलिक अधिकार है.” डेनमार्क के विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया भर में लोकतंत्र के सबसे बड़े शत्रु व्लादिमीर पुतिन हैं. उन्होंने कहा कि नाटो हर स्थिति में जॉर्जिया जैसे देशों के साथ खड़ा रहेगा.

ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिजÞ ट्रस ने कहा कि रविवार की बैठक के दौरान नाटो के सदस्य देश यूरोप से परे अन्य सुरक्षा मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे. उन्होंने चीन के बढ़ते प्रभाव और ताकत के मद्देनजर लोकतांत्रिक देशों की ंिचताओं को लेकर यह बात कही. ट्रस ने कहा, “यूरो-अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा के साथ-साथ हमें ंिहद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है.” इस बीच, यूक्रेन पर जारी रूसी हमले के बीच फिनलैंड के राष्ट्रपति और सरकार ने रविवार को ऐलान किया कि उनका देश पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो की सदस्यता लेने का इच्छुक है. नॉर्डिक देश के इस ऐलान से 30 सदस्यीय उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विस्तार का रास्ता साफ हो गया है.

राष्ट्रपति सौली निनिस्टो और प्रधानमंत्री सना मारिन ने हेंिल्सकी में राष्ट्रपति भवन में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की. उम्मीद है कि फिनलैंड की संसद आने वाले दिनों में इस फैसले का समर्थन करेगी, यानी अब केवल औपचारिकता बाकी रह गई है. संसद से मंजूरी मिलने के बाद फिनलैंड की सरकार संभवत: अगले हफ्ते में ही औपचारिक सदस्यता का आवेदन ब्रसेल्स स्थित नाटो मुख्यालय में जमा करेगी.

फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू की

फिनलैंड और स्वीडन ने उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं. इसके साथ ही यूरोप में तटस्थ रहने वाले देशों की संख्या में और कमी आ जाएगी. इन दो नॉर्डिक देशों की तरह अन्य देश भी यूरोपीय संघ में इसलिए शामिल हुए थे ताकि पूर्व-पश्चिम समूह में विभाजित हुए बिना यूरोप की आर्थिक और राजनीतिक एकता को मजबूत किया जा सके.
लेकिन, यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले के बाद परिस्थितियां बिल्कुल बदल गयी हैं, जिसने फिनलैंड और स्वीडन को उनकी तटस्थ रहने की नीति पर पुर्निवचार करने के लिए मजबूर कर दिया है.

फिनलैंड का कहना है कि वह आगामी कुछ दिनों में नाटो की सदस्यता लेने पर फैसला करेगा जबकि स्वीडन भी फिनलैंड का अनुसरण कर सकता है. दोनों ही देशों की जनता नाटो में शामिल होने के पक्ष में है. हालांकि, यूरोपीय संघ के सदस्य किसी बाहरी हमले के मामले में एक-दूसरे की रक्षा करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं, लेकिन यह प्रतिज्ञा काफी हद तक कागज पर ही बनी हुई है. नाटो की क्षमता सामूहिक रक्षा की यूरोपीय संघ की नीति से अधिक मजबूत है.

लेकिन, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यब एर्दोआन फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने के खिलाफ हैं. एर्दोआन का कहना है कि तुर्की, फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल करने के विचार का समर्थन नहीं करता. एर्दोआन के मुताबिक ये नॉर्डिक देश कुर्द लड़ाकों का समर्थन करते हैं, जिन्हें तुर्की आतंकवादी मानता है.

 

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