उत्तराखंड : जूनियर छात्रा की रैगिंग करने वाले MBBS के सात छात्र निलंबित

सीनियर छात्रों ने कहे अपशब्द और छात्रावास की छत पर उसे निर्वस्त्र होने को किया मजबूर

देहरादून/हैदराबाद. पौड़ी जिले के श्रीनगर में स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज के सात वरिष्ठ छात्रों को प्रथम वर्ष के छात्रों की रैगिंग करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के पोर्टल पर एक पीड़ित छात्र द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि 11 नवंबर की रात सीनियर छात्रों ने उसे अपशब्द कहे और छात्रावास की छत पर उसे निर्वस्त्र (कपड़े उतारने) होने को मजबूर किया गया.

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर चंद्रमोहन सिंह रावत ने बताया कि अगले दिन पोर्टल से मामले की जानकारी मिलने के बाद संस्थान ने एक जांच समिति गठित की थी. जांच में मामला सही पाए जाने पर 2019 बैच के पांच और 2020 बैच के दो छात्रों सहित कुल सात छात्रों को तीन माह के लिए शैक्षणिक गतिविधियों से निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि आरोपी छात्रों को कॉलेज के छात्रावास से स्थायी रूप से निष्कासित कर दिया गया है. प्रोफेसर रावत ने कहा कि अगर इस घटना की पुनरावृत्ति होती है तो आरोपी छात्रों को पूरे सत्रके लिए निलंबित कर दिया जाएगा.

हैदराबाद बिजनेस स्कूल के आठ छात्र रैगिंग मामले में गिरफ्तार, एनएचआरसी ने संज्ञान लिया
हैदराबाद के एक बिजनेस स्कूल के आठ छात्रों को कथित रूप से रैगिंग करने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया तथा संस्थान के प्रशासन के नौ सदस्यों पर मामला दर्ज किया गया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस मामले पर संज्ञान लिया है.
सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया था. छात्रों के एक समूह ने पीड़ित की कथित तौर पर पिटायी की तथा एनएचआरसी ने तेलंगाना सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.

पुलिस ने बताया कि पांच छात्रों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि तीन अन्य को सोमवार को गिरफ्तार किया गया. वहीं, दो अन्य आरोपी छात्रों को गिरफ्तार करने के प्रयास जारी हैं. पुलिस के मुताबिक, घटना के सिलसिले में कार्रवाई करने में कथित तौर पर नाकाम रहने के लिए बिजनेस स्कूल के प्रबंधन के नौ सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस ने बताया कि यह घटना तब हुई थी, जब एक छात्रा ने पिछले महीने सोशल मीडिया चैट के दौरान पीड़ित छात्र द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों पर आपत्ति जताते हुए अपने कुछ दोस्तों को इसकी जानकारी दी थी. पुलिस के अनुसार, छात्रा के कुछ दोस्त एक नवंबर को पीड़ित छात्र के कमरे में पहुंचे और उसकी पिटाई कर दी. उन्होंने बताया कि पीड़ित छात्र ने संस्थान के प्रबंधन से इसकी शिकायत की थी और बाद में कुछ सरकारी अधिकारियों और अन्य को ईमेल के जरिये घटना के बारे में सूचित किया था.

पुलिस के मुताबिक, बाद में पीड़ित छात्र ने पुलिस से शिकायत की थी, जिसके आधार पर रैंिगग अधिनियम और कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. इस बीच, इस मामले ने उस समय सांप्रदायिक रंग ले लिया था, जब घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर आया, जिसमें कुछ धार्मिक नारे लगाए गए थे. हालांकि, पुलिस ने कहा कि आरोपी छात्र सिर्फ एक नहीं, बल्कि अलग-अलग धर्मों के हैं.

एनएचआरसी ने इस घटना को लेकर तेलंगाना सरकार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को नोटिस भेजा है.
एनएचआरसी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि उसने रैंिगग तथा छात्र की पिटायी को लेकर मीडिया में आयी खबरों पर संज्ञान लिया है. इसमें कहा गया है, ‘‘आयोग ने कहा कि अगर मीडिया में आयी खबरें सही हैं तो यह सरासर लापरवाही, निगरानी की कमी और कॉलेज प्रशासन द्वारा परिसर में प्रत्येक छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकामी के कारण पीड़ित के मानवाधिकारों का उल्लंघन है…ऐसा लगता है कि 2009 में उच्चतर शिक्षा संस्थानों में रैंिगग की समस्या से निपटने पर यूजीसी के नियमन के बावजूद कुछ सुधार नहीं हुआ है.’’

एनएचआरसी ने तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक को भी एक नोटिस भेजकर सभी आरोपियों और संबंधित कॉलेज के शिक्षण/गैर शिक्षण र्किमयों के खिलाफ आपराधिक मामलों की स्थिति की जानकारी देने को कहा गया है. विज्ञप्ति के अनुसार, रैंंिगग से निपटने पर राघवन समिति की सिफारिशों के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सचिव के साथ ही यूजीसी के सचिव को भी रिपोर्ट जमा कराने के लिए नोटिस भेजा गया है.

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