सरकार ने आयातित कोयले का मिश्रण अनिवार्य बनाकर अपने ‘मित्रों’ को फायदा पहुंचाया: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने बिजली उत्पादन कंपनियों के लिए आयातित कोयले का मिश्रण अनिवार्य बनाकर अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाया है. पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह दावा भी किया कि मोदी सरकार ने अपने ‘मित्रों’ को फायदा पहुंचाने का नया तरीका विकसित कर लिया है और इससे आम उपभोक्ताओं को बिजली की अधिक कीमत चुकानी होगी.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘देश में 75 प्रतिशत बिजली को उत्पादन कोयला आधारित बिजली घरों द्वारा किया जाता है. मोदी सरकार ने इन बिजली घरों से कहा कि आपको 10 प्रतिशत आयातित कोयला खरीदना पड़ेगा क्योंकि इसके मिश्रण के बिना अच्छी बिजली पैदा नहीं होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले तो सरकार ने आयातित कोयले के मिश्रण को अनिवार्य बनाया और फिर कोयला आयात करने का ठेका अपने ‘मित्रों’ को दे दिया. अब ये मित्र आयातित कोयला बिजली उत्पादक इकाइयों को घरेलू कोयले के मुकाबले सात से 10 गुना दाम पर बेच रहे है. इससे वे लोग बहुत मुनाफा कमा रहे हैं.’’

वल्लभ ने दावा किया किया कि 4,035 करोड़ रुपये की लागत करीब 25 लाख टन कोयला आयात करने का ठेका ‘अडाणी एंटरप्रइजेज’ को दिया गया. उनके इस आरोप पर सरकार या ‘अडाणी एंटरप्रइजेज’ की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

कांग्रेस ने ‘अग्निपथ’ और महंगाई पर लोस और रास में कार्यस्थगन के नोटिस दिए

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को कांग्रेस ने सेना में भर्ती की योजना ‘अग्निपथ’ को लेकर राज्यसभा में कार्यस्थगन का नोटिस दिया और चर्चा की मांग की. पार्टी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यसभा में नियत कार्य स्थगित कर, सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना पर चर्चा कराने की मांग करते हुए नियम 267 के तहत नोटिस दिया.

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस योजना को बिना चर्चा और विचार-विमर्श के ही पूरे देश में लागू कर दिया. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल ने भी इसी विषय पर कार्यस्थगन का नोटिस दिया और कहा कि यह योजना देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है.

लोकसभा में कांग्रेस के सदस्य मणिकम टैगरो ने महंगाई, खासकर रसोई गैस के सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी के मुद्दे को लेकर कार्यस्थगन का नोटिस दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को एलपीजी की कीमत 2014 के समय रही कीमत के बराबर लाना चाहिए और लाभार्थियों को सब्सिडी का लाभ मिलना चाहिए.

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