भारत के आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता को चुनौती देने वालों के खिलाफ युद्ध तेज करना है: मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के आत्मविश्वास और उसकी आत्मनिर्भरता को चुनौती देने वाली ताकतों के खिलाफ युद्ध तेज करने का आह्वान करते हुए सोमवार को कहा कि ऐसी हर कोशिश को नाकाम करना जरूरी है. राजधानी स्थित आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (एनआईआईओ) की ओर से आयोजित सेमिनार ‘‘स्वावलंबन’’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जैसे-जैसे भारत वैश्विक मंच पर खुद को स्थापित कर रहा है, वैसे-वैसे दुष्प्रचार के माध्यम से लगातार हमले हो रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘खुद पर भरोसा रखते हुए भारत के हितों को हानि पहुंचाने वाली ताकतें चाहे देश में हों या फिर विदेश में, उनकी हर कोशिश को नाकाम करना है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश की रक्षा के लिए हमें एक और अहम पक्ष पर ध्यान देना चाहिए. हमें भारत के आत्मविश्वास को, हमारी आत्मनिर्भरता को चुनौती देने वाले ताकतों के विरुद्ध युद्ध तेज करना है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र की रक्षा अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि बहुत व्यापक है इसलिए हर नागरिक को इसके लिए जागरूक करना भी उतना ही आवश्यक है.

उन्होंने कहा, ‘‘जैसे आत्मनिर्भर भारत के लिए ‘होल आॅफ द गवर्नमेंट एप्रोच’ के साथ आगे बढ़ रहे हैं वैसे ही राष्ट्र रक्षा के लिए भी ‘होल आॅफ द नेशन अप्रोच’ समय की मांग है. भारत के कोटि-कोटि जनों की की यही सामूहिक राष्ट्र चेतना ही सुरक्षा और समृद्धि का सशक्त आधार है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे भी व्यापक हो गए हैं और युद्ध के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पहले सिर्फ भूमि, समुद्र और आकाश तक ही रक्षा की कल्पना की जाती थी लेकिन अब इसका दायरा अंतरिक्ष, साइबर स्पेस और आर्थिक व सामाजिक स्पेस की तरफ बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 8 वर्षों में केंद्र की सरकार ने सिर्फ रक्षा का बजट ही नहीं बढ़ाया है बल्कि ये बजट देश में ही रक्षा निर्माण इकोसिस्टम के विकास में भी काम आए, यह भी सुनिश्चित किया है. उन्होंने कहा कि रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय बजट का बहुत बड़ा हिस्सा आज भारतीय कंपनियों से खरीद में ही लग रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘बीते चार-पांच सालों में हमारा रक्षा आयात लगभग 21 प्रतिशत कम हुआ है. आज हम सबसे बड़े रक्षा आयातक के बजाय एक बड़े निर्यातक की तरफ तेजÞी से आगे बढ़ रहे हैं. इस सम्मेलन का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए भारतीय उद्योग और शिक्षा जगत को जोड़ना है.

अपनी आर्थिक सीमाओं से ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक दबावों पर भी जीत हासिल करना है:राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि आत्मनिर्भरता की ओर भारत के सफर का लक्ष्य ‘न केवल अपनी आर्थिक सीमाओं , बल्कि कूटनीतिक दबावों पर भी जीत हासिल करना है’ ताकि देश निर्णायक स्वायत्तता हासिल करने में समर्थ हो पाये. उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ दशक पहले ‘आजादी’ का मतलब विदेशी शासकों एवं औपनिवेशक शासन से मुक्ति पाना था. (अब) ‘आजादी’ का मतलब राजनीतिक ताकत हासिल करना है.’’

रक्षा मंत्री ने यहां नौसेना के ‘नवल इनोवेशन एंड इंडिजेनाइजेशन आॅर्गेनाइजेशन’ में संगोष्ठी में अपने भाषण में कहा, ‘‘ लेकिन आज ‘आत्मनिर्भरता’ का आयाम आजादी की परिभाषा में जुड़ गया है.’’ सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष यान अन्य देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जा रहे हैं और देश कई क्षेत्रों न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि वह अन्य देशों की जरूरतें भी पूरी कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी आत्मनिर्भरता का मतलब न केवल अपनी आर्थिक सीमाओं , बल्कि कूटनीतिक दबावों पर भी जीत हासिल करना है ताकि देश निर्णायक स्वायत्तता हासिल करने में समर्थ हो पाये. ’’ इस संगोष्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा सचिव अजय कुमार, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार भी मौजूद थे.

सिंह ने कहा कि भारतीय रक्षा क्षेत्र बहुत तीव्र गति से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है तथा कई साल पहले ही भारतीय नौसेना अपना जहाज डिजायन संगठन स्थापित कर इस मार्ग पर अग्रणी की भूमिका निभाने लगी. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना अपनी कई स्वदेशीकरण परियोजनाओं के मार्फत ‘खरीददारी करने वाली नौसेना’ से ‘विनिर्माण करने वाली नौसेना’ बनने के अहम सफर पर चल पड़ी है तथा भारतीय जंगी जहाजों में स्वदेशी सामग्री की नियमित बढ़ोत्तरी उसका एक उदाहरण है. सिंह ने कहा, ‘‘ भारत ने एक नयी छवि हासिल की है क्योंकि वह कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने के लिए काम कर रहा है. दुनिया भारत को सुन रही है और हमारे देश की ओर आशाभरी निगाहों से देख रही है.’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button