मालेगांव धमाकों के गवाह मोटर मेकैनिक ने अपनी जान को खतरा बताया, मप्र पुलिस की सुरक्षा मांगी

इंदौर. वर्ष 2008 के मालेगांव बम धमाकों के मामले में अभियोजन का एक गवाह मंगलवार को यह कहते हुए मुंबई की विशेष एनआईए अदालत के सामने हाजिर नहीं हुआ कि उसकी जान को कथित खतरे के कारण उसे मध्य प्रदेश पुलिस की सुरक्षा प्रदान की जाए।

इस मामले के आरोपियों में भोपाल की भाजपा सांसद प्रज्ञा ंिसह ठाकुर भी शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि मालेगांव बम विस्फोट कांड की सुनवाई कर रही विशेष एनआईए अदालत ने ‘‘गवाह नम्बर 21’’ जितेंद्र भाकरोदा के नाम 12 अप्रैल को सम्मन जारी करते हुए उसे 19 अप्रैल (मंगलवार) को 11 बजे गवाही के लिए तलब किया था।

बहरहाल, पेशे से मोटर मेकैनिक भाकरोदा मुंबई की इस अदालत के सामने मंगलवार को पेश नहीं हुए। उन्होंने इंदौर में संवाददाताओं से कहा,‘‘मालेगांव धमाकों का इंदौर निवासी एक अन्य गवाह दिलीप पाटीदार अब तक लापता है, जिसे महाराष्ट्र का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) नवंबर 2008 में अपने साथ ले गया था। तब से मुझे भी अपनी जान को लगातार खतरा महसूस होता है।’’ भाकरोदा ने कहा कि उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस की सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी सुरक्षा के मामले में अन्य राज्य की पुलिस या किसी राष्ट्रीय एजेंसी पर भरोसा नहीं है।

मालेगांव बम धमाकों के गवाह ने दावा किया कि वॉट्सऐप के जरिये उन्हें अदालती सम्मन भेजने वाले राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के अधिकारी से वह पहले ही अनुरोध कर चुके हैं कि उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस की सुरक्षा मुहैया कराई जाए। भाकरोदा के मुताबिक, उन्होंने इंदौर पुलिस के एक आला अधिकारी को भी मोबाइल फोन पर संदेश भेजकर सुरक्षा की मांग की है।

भाकरोदा ने संबंधित व्यक्तियों के नाम जाहिर किए बगैर यह दावा भी किया कि हाल ही में कुछ ‘‘बाहरी लोगों’’ ने उनसे संपर्क कर कहा कि वह मंगलवार को मुंबई की विशेष एनआईए अदालत के सामने गवाही के लिए तैयार रहें।

गौरतलब है कि उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास हुए बम धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक व्यक्ति घायल हो गए थे। अभियोजन का कहना है कि मालेगांव बम धमाकों में इस्तेमाल मोटरसाइकिल भाकरोदा के इंदौर स्थित गराज में मरम्मत के लिये आई थी।

मामले की शुरुआती जांच करने वाली महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक यह मोटरसाइकिल कथित रूप से ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी। मामले की जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी। मामले में बम्बई उच्च न्यायालय ने ठाकुर को वर्ष 2017 में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

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