पुष्कर सिंह धामी को फिर उत्तराखंड की कमान

देहरादून. उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटाने वाले पुष्कर सिंह धामी ही प्रदेश में अगली सरकार के मुखिया होंगे. यहां भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा सह पर्यवेक्षक एवं विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी की मौजूदगी में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में धामी को सर्वसम्मति से उसका नेता चुना गया .

इस बात का ऐलान करते हुए सिंह ने कहा कि पिछले केवल छह माह के अपने कार्यकाल में धामी ने जनता के दिलों पर अपनी छाप छोडी जिसका परिणाम पार्टी को जीत के रूप में मिला. हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 47 सीटों पर जीत हासिल कर दो-तिहाई से अधिक बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्तासीन हो रही है .

हांलांकि, ‘उत्तराखंड फिर मांगे, मोदी-धामी की सरकार’ के नारे के साथ विधानसभा चुनाव लडने वाली भाजपा को जीत तक ले जाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी परंपरागत सीट खटीमा से हार गए . इस कारण नेतृत्व को मुख्यमंत्री के नाम पर नए सिरे से मंथन करना पडा जिसमें लगभग 11 दिन का वक्त लग गया . अपने नाम की घोषणा के बाद धामी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश की प्रगति के लिए काम करेंगे और उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बनाएंगे .

हारकर भी बाजीगर साबित हुए पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सत्तासीन होने का इतिहास रचने वाली भाजपा के अगुवा पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट हारने के बावजूद एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल कर बाजीगर साबित हुए. धामी (46) के बुधवार 23 मार्च को दूसरी बार शपथ लेने के साथ ही 22 साल पहले अस्तित्व में आए उत्तराखंड में एक और मिथक यह भी टूटेगा कि किसी भी मुख्यमंत्री ने लगातार दो बार अपनी पारी नहीं खेली.

सोमवार शाम धामी के नाम पर मुहर लगाने के लिए यहां हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में बतौर केंद्रीय पार्टी पर्यवेक्षक शामिल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी विधानसभा चुनाव से पहले उनकी तुलना क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी से करते हुए उन्हें एक अच्छा ‘मैच फिनिशर’ बताया था जो जरूरत पडने पर भाजपा के लिए ताबड़तोड रन बना सकते हैं .

क्रिकेट शब्दावली का प्रयोग करते हुए सिंह ने कथित तौर पर कहा था कि धामी मुख्यमंत्री के रूप में बिना थके अनवरत काम कर रहे हैं और उन्हें टेस्ट मैच खेलना चाहिए . संभवत: इसीलिए भाजपा हाईकमान ने खटीमा सीट पर उनकी हार के बावजूद लंबे समय के लिए धामी पर ही भरोसा जताया .

पिछले साल जुलाई में धामी को विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले ही प्रदेश की बागडोर सौंपी गयी थी और पार्टी नेतृत्व के भरोसे पर वह खरे उतरे . हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 70 में से 47 सीटें जीतकर दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता प्राप्त की. हांलांकि, लगातार तीसरी बार खटीमा से विधायक बनने का प्रयास कर रहे धामी कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंदी भुवन चंद्र कापड़ी से 6500 वोटों के अंतर से हार गए. पिथौरागढ के सीमांत क्षेत्र कनालीछीना में एक पूर्व सैनिक के घर में पैदा हुए धामी की कर्मभूमि खटीमा ही रही है और यहां से उनकी हार उनके लिए एक बडा झटका माना गया .

धामी ने जब पिछले साल जुलाई में कार्यभार संभाला था तब वह प्रदेश के इतिहास में सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे और उनके सामने कोरोना महामारी और आपदाओं के साथ ही नजदीक आते विधानसभा चुनाव जैसी कई चुनौतियां थीं और खुद को साबित करने के लिए मात्र छह माह थे .

कोविड के चलते पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था, तीर्थ पुरोहितों का चारधाम बोर्ड को लेकर आंदोलन और कोविड फर्जी जांच घोटाला जैसी चुनौतियां भी उनके सामने थीं. उन्होंने कई आर्थिक पैकेजों की घोषणा और चारधाम बोर्ड भंग कर जीत हासिल की और ऐन विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष के हाथ से मुददे छीन लिए. धामी महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाते हैं और उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह उनके विशेष कार्याधिकारी थे . माना जाता है कि छात्र राजनीति से जुड़े रहे धामी को राजनीति के क्षेत्र में उंगली पकडकर कोश्यिारी ही लाए.

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