आतंकवाद मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे बड़ा रूप : अमित शाह

नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि आतंकवाद मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे बड़ा रूप है और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई मानवाधिकारों के विरुद्ध नहीं हो सकती है. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के 13वें स्थापना दिवस पर शाह ने यहां कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के वित्त पोषण और आतंकवादियों की मदद कर समाज में सम्मानपूर्वक ंिजदगी जी रहे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है. आतंकवाद को समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई देश है जो आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित रहा है, तो वह भारत है.

शाह ने एनआईए और अन्य सुरक्षा संगठनों के अधिकारियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘‘मानवाधिकार संगठनों के साथ मेरे कुछ मतभेद हैं. जब भी कोई आतंकवाद विरोधी कार्रवाई होती है, तो कुछ मानवाधिकार समूह इस मुद्दे को उठाने के लिए आगे आ जाते हैं. लेकिन मेरा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद से बड़ा कोई मानवाधिकार उल्लंघन नहीं हो सकता है. यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे बड़ा रूप है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई मानवाधिकार के विरुद्ध नहीं हो सकती. मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिये यह नितांत जरूरी है कि आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाए.’’ गृह मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई है और देश से इस खतरे को खत्म करने के लिए काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि एनआईए ने आतंकी वित्तपोषण के मामले दर्ज किए हैं और इन मामलों ने जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में काफी हद तक मदद की है. शाह ने कहा कि पहले आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं होती थी. उन्होंने कहा कि 2018 में पहली बार आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और इस वजह से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए कोई आसान रास्ता नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘‘2021-22 में, एनआईए ने कई मामले दर्ज किए, जिसने जम्मू-कश्मीर में स्लीपर सेल को नष्ट करने में मदद की. इसने रसद और आपूर्ति श्रृंखला और उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है जिन्होंने आतंकवाद की मदद की थी और समाज में सम्मानपूर्वक रह रहे थे. एनआईए ने उनका पर्दाफाश किया और उन्हें न्याय के दायरे में लेकर आई. यह एक बड़ी बात है.’’

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ लड़ना एक बात है और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए की गई कार्रवाई दूसरी बात है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है. इसलिए, हमें आतंकी वित्तपोषण के तंत्र को नष्ट करना होगा. एनआईए द्वारा दर्ज जम्मू-कश्मीर के आतंकी वित्तपोषण मामलों के कारण, आतंकी कृत्यों के लिये फंड उपलब्ध कराना अब वहां बहुत मुश्किल हो गया है.’’

गृह मंत्री ने कहा कि दुनिया भर में एक अहसास है कि भारत के बिना कोई लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है – चाहे वह पर्यावरण, आर्थिक विकास, समान विकास या आतंकवाद को समाप्त करने का लक्ष्य हो. उन्होंने कहा कि भारत के बिना ऐसे लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते और इसलिए देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित और मजबूत करना नितांत आवश्यक है.

शाह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने भारत के लिए पांच हजार अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है.’’ मंत्री ने कहा कि 2008 का मुंबई आतंकवादी हमला एक ऐसी घटना थी जिससे संस्थानों में सुधार की आवश्यकता महसूस की गई. उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों के बाद एनआईए का गठन किया गया था और सभी एजेंसियां आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ सक्रिय हो गईं. उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी संगठनों, खुफिया एजेंसियों और खुफिया जानकारी जुटाने के तंत्र में सकारात्मक बदलाव हुए हैं.

पिछले 13 वर्षों में एनआईए की भूमिका की सराहना करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि एजेंसी को अगले 25 वर्षों (आजÞादी का अमृत काल) के लिए कुछ संकल्प लेना चाहिए और प्रयास किए जाने चाहिए ताकि वे सफल हो सकें. उन्होंने कहा, ‘‘सफलता एक अच्छी बात है. लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि यह सफलता किसी भी संगठन को कैसे आगे ले जाती है. यदि सफलता प्रोत्साहन देती है, तो संगठन आगे बढ़ता है. एनआईए को अपनी सफलताओं को समेकित और संस्थागत बनाना चाहिए. जब तक सफलताओं को समेकित और संस्थागत नहीं किया जाता है, तब तक एनआईए अपने मिशन में सफल नहीं होगी.’’

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