पिता का दावा : डाउन सिंड्रोम से जूझ रहा सात वर्षीय बच्चा हिमालय की 5,550 मीटर ऊंचाई पर पहुंचा
इंदौर. इंदौर के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बृहस्पतिवार को कहा कि डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे उसके गोद लिए सात वर्षीय बालक ने वनेपाल में हिमालय की 5,550 मीटर ऊंचाई पर स्थित काला पत्थर क्षेत्र की मुश्किल चढ़ाई की. उन्होंने दावा किया कि वह इस कारनामे को अंजाम देने वाला दुनिया का पहला और सबसे कम उम्र का विशेष जरूरतों वाला बच्चा है.
गौरतलब है कि काला पत्थर 8,848.86 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट के पर्वतारोहण के रास्ते के पास पड़ता है और काला पत्थर से दुनिया के इस सबसे ऊंचे पर्वत शिखर का बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई पड़ता है. पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर आदित्य तिवारी (33) ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘मैंने डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे अपने बेटे अवनीश के साथ नेपाल के लुकला से हिमालय की चढ़ाई 14 अप्रैल को शुरू की थी. इस अभियान के लिए मैं अपने बेटे को लेह, लद्दाख और कश्मीर में पिछले एक साल से पर्वतारोहण का खास प्रशिक्षण दिला रहा था.’’ उन्होंने बताया कि गाइड, शेरपा और कुली की मदद से चढ़ाई करते हुए वह अपने बेटे के साथ 19 अप्रैल को काला पत्थर लेकर पहुंचे, जहां डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे बालक ने तिरंगा लहराया और दूर से माउंट एवरेस्ट का दीदार किया.
तिवारी ने बताया कि काला पत्थर पहुंचने पर दिन का तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे था. तिवारी अपने साथ ढेर सारी दवाएं और चिकित्सा से जुड़े उपकरण ले कर गए थे. इसके अलावा उन्होंने अपने बेटे का एक खास बीमा भी कराया था, जिसमें जरूरत पड़ने पर उसे एयर लिफ्ट कर अस्पताल पहुंचाने की सुविधा थी.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बताया कि अवनीश जन्म से डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हैं और उसकी बीमारी का पता चलने के बाद उसके माता-पिता ने उसे एक अनाथालय में छोड़ दिया था. तिवारी जनवरी 2016 में “सबसे कम उम्र के अविवाहित पिता” के रूप में सुर्खियों में आए थे, जब जटिल कानूनी बाधाओं को पार करते हुए उन्होंने अवनीश को गोद लिया था.
हालांकि, इसके कुछ महीनों बाद उन्होंने शादी कर ली थी. जानकारों ने बताया कि डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक विकार है, जिसे “ट्राइसोमी 21” के नाम से भी जाना जाता है. इस विकार से पीड़ित बच्चों को अलग-अलग शारीरिक तथा बौद्धिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और इसके चलते उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है.