रूस ने मारियुपोल में राहतकर्मियों को बंदी बनाया: यूक्रेन
कीव. यूक्रेन के नेताओं ने रूस पर एक मानवीय सहायता काफिले को रोककर 15 बचावर्किमयों और चालकों को बंदी बनाने का आरोप लगाया, जो मारियुपोल में भोजन और अन्य वस्तुओं को प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बताया कि शहर में लगभग 1,00,000 लोग अब भी ‘‘अमानवीय परिस्थितियों में, पूर्ण नाकेबंदी के कारण भोजन, पानी, दवा के बगैर और लगातार गोलाबारी के बीच’’ रह रहे हैं.
पोलैंड चले गये विक्टोरिया टोत्सेन (39) ने कहा, ‘‘उन्होंने पिछले 20 दिनों से हम पर बमबारी की.’’ जेलेंस्की ने मंगलवार की रात राष्ट्र के नाम अपने वीडियो संबोधन में रूसी सेना पर मानवीय गलियारे पर सहमत होने के बावजूद सहायता काफिले को अवरुद्ध करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘‘हम मारियुपोल के निवासियों के लिए स्थिर मानवीय गलियारों को व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे लगभग सभी प्रयासों को रूस ने गोलाबारी कर या जानबूझकर हिंसक गतिविधियों से विफल कर दिया है.’’ रेड क्रॉस ने पुष्टि की कि एक मानवीय सहायता काफिला शहर तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था जिसे रोक दिया गया. यूक्रेन की उप राष्ट्रपति इरिना वेरेश्चुक ने कहा कि रूसियों ने 11 बस चालकों और चार बचावर्किमयों को उनके वाहनों के साथ कब्जे में ले लिया है. उनके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.
यूक्रेन की राजधानी कीव में बुधवार को तड़के लगातार गोलाबारी और गोलीबारी जारी रही और पश्चिमी बाहरी इलाके से धुएं के गुबार उठते दिखाई दिये. मंगलवार को भी उत्तर-पश्चिम से भारी गोलाबारी की आवाज सुनी गई, जहां रूस ने कई उपनगरों को घेरने और कब्जा करने की कोशिश की है. जेलेंस्की ने कहा कि मंगलवार को मारियुपोल से 7,000 से अधिक लोगों को निकाला गया. युद्ध से पहले, इस बंदरगाह शहर की आबादी 4,30,000 थी.
यूक्रेन पर रूस ने 24 फरवरी को हमला किया और तब से पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन में भीषण तबाही मची है. रूस के हमले जारी हैं और यूक्रेन में जान-माल का भयावह नुकसान हो रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन यूरोप की अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, जिसमें उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के एक आपात सम्मेलन में भाग लेना, यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं को संबोधित करना शामिल है. इस बीच पश्चिमी अधिकारियों ने कहा कि रूसी सेना को भोजन, ईंधन और ठंड के मौसम में गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है.