कोविड-19 मौत: न्यायालय ने केन्द्र को अनुग्रह राशि पाने के लिए झूठे दावों की जांच की अनुमति दी

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र को कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजन को मिलने वाली अनुग्रह राशि के झूठे दावों की जांच करने की बृहस्पतिवार को अनुमति दी और कहा कि ‘‘किसी को भी झूठे दावे करके अथवा फर्जी प्रमाणपत्र लगा कर मुआवजा हासिल करने नहीं दिया जाएगा.’’ न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न की पीठ ने कहा कि सरकार चार राज्यों… महाराष्ट्र, केरल, गुजरात और आंध्र प्रदेश में पांच प्रतिशत दावों का सत्यापन कर सकती है, जहां दावों की संख्या और दर्ज की गई मृतक संख्या के बीच काफी अंतर है.

पीठ ने कहा,‘‘ हम भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के जरिए आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल और महाराष्ट्र के पांच प्रतिशत आवेदनों की जांच की मंजूरी देते हैं.’’ पीठ ने कहा कि यदि यह पाया जाता है कि किसी ने फर्जी दावा किया है तो उस पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 52 के तहत विचार किया जाएगा और उसके अनुसार उसे दंडित किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने उन लोगों के लिए 60 दिन की अवधि निर्धारित की, जो मुआवजे के वास्ते आवेदन करने के लिए पात्र हैं और भविष्य में ऐसे आवेदन करने के लिए 90 दिन का समय निर्धारित किया.

केन्द्र ने इससे पहले कोविड-19 से किसी परिजन की मौत हो जाने पर प्रशासन से अनुग्रह राशि का दावा करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा निर्धारित करने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को मिलने वाली 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के लिए झूठे दावों को लेकर भी ंिचता व्यक्त की थी और कहा था कि उसने कभी सोचा भी नहीं था कि इसका ‘‘दुरुपयोग’’ किया जा सकता है या ‘‘नैतिकता’’ का स्तर इतना नीचे कभी गिर सकता है.

उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव के साथ समन्वय करने के लिए एक सर्मिपत नोडल अधिकारी नियुक्त करें, ताकि मुआवजा दिया जा सके.

अनुग्रह राशि नहीं दिए जाने से नाराज शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों को फटकार भी लगाई थी. उसने पिछले वर्ष चार अक्टूबर को कहा था कि राज्य को कोविड-19 के कारण मारे गए लोगों के परिजन को 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि देने से केवल इस आधार पर इनकार नहीं करना चाहिए कि मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना वायरस को मौत का कारण नहीं बताया गया है.

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