आजम खान के बेटे के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का मामला: उच्चतम न्यायालय ने खारिज की याचिका
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान के विधायक बेटे के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आरोप पत्र रद्द करने से इनकार करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सपा नेता की याचिका सोमवार को खारिज कर दी. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसे उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता.
पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, उच्च न्यायालय की कोई भी टिप्पणी और चर्चा से उस मुकदमे पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिसका याचिकाकर्ता को सामना करना है.’’ खान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आरोप पत्र खारिज करने से इनकार करते समय निर्वाचन आयोग के निष्कर्षों पर भरोसा करके गलत किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले के सबूतों का परीक्षण करना निचली अदालत का काम है.
आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान उनके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले में जेल जा चुके हैं. आरोप है कि उत्तर प्रदेश के स्वार से विधायक अब्दुल्ला खान के पास दो अलग-अलग जगहों से फर्जी तरीके से जारी दो जन्म प्रमाण पत्र हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता आकाश सक्सेना ने रामपुर के गंज थाने में तीन जनवरी, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने लखनऊ और रामपुर से दो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने में अपने बेटे की मदद की.
अब्दुल्ला आजम पिछले चुनाव में राज्य विधानसभा के लिये निर्वाचित हुए थे, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस आधार पर उनका निर्वाचन रद्द कर दिया था कि नामांकन दाखिल करते समय उनकी आयु 25 साल से कम थी. आजम खान रामपुर विधानसभा क्षेत्र से 10 बार विधायक चुने गए हैं. धोखाधड़ी के एक मामले में इस साल मई में उच्चतम न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने से पहले, आजम खान भूमि पर कब्जा करने सहित कई मामलों में 27 महीने जेल में रहे.