मारपीट से संबंधित मामले में पांच दिन की पुलिस हिरासत में मेवानी
बारपेटा. असम के बारपेटा जिले की एक अदालत ने एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दायर मारपीट के मामले में मंगलवार को गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मुकुल चेतिया ने मेवानी को दोपहर में अदालत में पेश किये जाने के बाद पुलिस हिरासत में भेज दिया. पुलिस ने मेवानी की 12 दिन की हिरासत मांगी थी. मामले पर अगली सुनवाई 2 मई को होगी, जब मेवानी को दोबारा अदालत में पेश किया जाएगा.
मेवानी के वकील अंगशुमान बोरा ने कहा कि वे बृहस्पतिवार को जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. मेवानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 323, 353 और 354 के तहत मामला दर्ज किया गया है. सोमवार को कोकराझार जिले के एक अन्य मामले में जमानत पर रिहा होने के तुरंत बाद उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था.
कांग्रेस सर्मिथत निर्दलीय विधायक मेवानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट करने के लिए पहली बार 19 अप्रैल को गुजरात के पालनपुर शहर से गिरफ्तार किया गया था, और कोकराझार लाया गया था. आरोप है कि जब वह वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ गुवाहाटी हवाईअड्डे से कोकराझार जा रहे थे, तो उन्होंने महिला अधिकारी से मारपीट की.
मेवानी की रिहाई की मांग कर रहे कांग्रेस नेताओं को पुलिस थाने ले जाने के बाद छोड़ा
गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी की रिहाई की मांग को लेकर मार्च निकालने वाले असम कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को मंगलवार को बारपेटा जिले के एक पुलिस थाने में ले जाए जाने के कुछ देर बाद छोड़ दिया गया. जिला पुलिस अधीक्षक अमिताभ सिन्हा ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि किसी को भी हिरासत में नहीं लिया गया है और वह बाद में कार्रवाई का विवरण देंगे.
बारपेटा पुलिस थाने ले जाए गए नेताओं में शामिल कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने आरोप लगाया कि भाजपा के मन में लोकतंत्र के लिए कोई सम्मान नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने के लिए तैयार है, जिसकी हम किसी भी कीमत पर अनुमति नहीं दे सकते. हम मेवानी की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं.’’ कोकराझार जिले की एक अदालत ने कांग्रेस द्वारा सर्मिथत मेवानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किए गए एक ट्वीट के मामले में सोमवार को जमानत दे दी थी. इसके बाद मेवानी को 21 अप्रैल को एक महिला पुलिस अधिकारी के सम्मान पर ‘हमला करने और उसे अपमानित करने’ के आरोप में दोबारा गिरफ्तार किया गया था. नया मामला बारपेटा जिले के एक थाने में दर्ज किया गया था.
खालिक ने कहा कि उनके अलावा कांग्रेस विधायक अब्दुर रहीम अहमद, जाकिर हुसैन सिकदर, प्रदीप सरकार, भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी व अन्य पार्टी नेताओं को पुलिस ने उस वक्त रोका था, जब वे गुजरात के दलित नेता मेवानी की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर उपायुक्त कार्यालय तक मार्च निकाल रहे थे.
बारपेटा से लोकसभा सांसद खालिक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें जबरदस्ती पुलिस वैन में डाला गया और बारपेटा पुलिस थाने ले जाया गया. कुछ देर बाद हमें छोड़ दिया गया.’’ उन्होंने बताया कि इसके बाद छोड़े गए नेता मेवानी की रिहाई की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए. इसी मांग को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह पहले से ही उपायुक्त कार्यालय के पास प्रदर्शन कर रहा था.
सिकदर ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ‘लोकतंत्र को नष्ट करना और निरंकुशता की ओर बढ़ना चाहती है. उसके मन में नागरिकों के मौलिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए कोई सम्मान नहीं है.’ उन्होंने दावा किया कि भाजपा अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए असम पुलिस का कठपुतली की तरह इस्तेमाल कर रही है. एक महिला पुलिसकर्मी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद मेवानी के खिलाफ लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, हमला करने और आपराधिक बल प्रयोग करने से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. बारपेटा रोड थाने में उसी दिन दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, कथित घटना तब हुई थी, जब महिला पुलिसकर्मी 21 अप्रैल को मेवानी को गुवाहाटी हवाईअड्डे से कोकराझार ले जा रही थी.