देवगन व सुदीप के बीच ट्विटर पर हिंदी को लेकर हुई दोस्ताना बहस ने लिया राजनीतिक रंग
नयी दिल्ली/बेंगलुरु. हिंदी के देश की राष्ट्रभाषा होने संबंधी बॉलीवुड अभिनेता स्टार अजय देवगन की टिप्पणी ने बृहस्पतिवार को राजनीतिक रंग ले लिया और कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई तथा नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाषाई विविधता का समर्थन किया.
अजय देवगन और कन्नड़ भाषी फिल्मों के कलाकार किच्चा सुदीप के बीच ट्विटर पर हिंदी को लेकर हुई दोस्ताना बहस ने उस समय राजनीतिक रंग ले लिया जब इसमें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस नेता सिद्दारमैया और जद (एस) के एच. डी. कुमारस्वामी भी शामिल हो गए. दोनों नेताओं ने जोर दिया हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है और वह देश की किसी भी अन्य भाषा की तरह ही है.
बोम्मई ने हुबली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘सुदीप ने जो कुछ भी कहा है, वह सही है. भाषाई आधार पर राज्यों के गठन के बाद वहां (उन क्षेत्रों में) भाषाओं को महत्व मिला. वही सर्वोपरि है. सुदीप ने भी वही कहा है, जो सही है. हर किसी को इसे स्वीकार करना चाहिए तथा इसका सम्मान करना चाहिए.’’ ट्विटर पर हैशटैग ‘‘हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं’’ ट्रेंड करने क बीच कई फिल्मी हस्तियों ने भी इस संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी की वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में कहा कि एक राष्ट्रभाषा के लिहाज से भारत विविधताओं से भरा देश है और हर सभी को अपना स्थान मिलना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत का विचार यह है कि यह हर किसी को जगह देता है. जब आप कोई भारतीय नोट (करेंसी) उठाते हैं, तो आप उस पर कितनी भाषाएं पाते हैं?’’ उमर ने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ‘‘(करेंसी) नोट सभी भाषाओं को जगह देता है और अगर भारतीय नोट सभी भाषाओं को जगह देता है, तो स्पष्ट रूप से यह समझा जा सकता है कि हम सिर्फ एक भाषा से अधिक हैं, सिर्फ एक संस्कृति से अधिक, सिर्फ एक धर्म से अधिक.” सुदीप ने पिछले दिनों कहा था ‘‘हिंदी अब राष्ट्रीय भाषा नहीं रही.’’
इस पर अभिनेता अजय देवगन ने हिंदी में ट्वीट कर कहा, ‘‘मेरे भाई, आपके अनुसार हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है, तब आप अपनी मातृ भाषा में बनी फिल्म को हिंदी में डब करके क्यों रिलीज कर रहे हैं. हिंदी थी, है और हमेशा हमारी मातृ भाषा और राष्ट्रभाषा रहेगी, जन गण मन.’’ आम तौर पर विवाद से दूर रहने वाले देवगन के पोस्ट पर आपत्ति जताते हुए सिद्दारमैया ने कहा, ‘‘हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा ना कभी थी और न कभी होगी. हमारे देश की भाषाई विविधता का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है. प्रत्येक भाषा का अपना समृद्ध इतिहास है, और उस भाषा के लोगों को उस पर गर्व है. मुझे कन्नड़भाषी होने पर गर्व है.’’
जनता दल (सेक्युलर) के कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘अभिनेता सुदीप का कहना सही है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है. उनके बयान में कुछ भी गलत नहीं है.’’ कुमारस्वामी के अनुसार, हिंदी भी कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम और मराठी जैसी भाषाओं की तरह एक भाषा है. उन्होंने बृहस्पतिवार को सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘ भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं. देश विभिन्न संस्कृतियों से समृद्ध है. इसमें खलल उत्पन्न करने की कोशिश ना करें.’’ कुमारस्वामी ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है, इसे राष्ट्रभाषा नहीं कहा जा सकता. कश्मीर से कन्याकुमारी तक नौ राज्यों से कम में हिंदी दूसरे या तीसरे नंबर की भाषा है या ऐसे भी राज्य हैं, जहां उसे यह मुकाम भी हासिल नहीं हैं.
कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘ अगर स्थिति यह है तो अजय देवगन के बयान में क्या सच्चाई है? फिल्म को ‘डब’ (दूसरी भाषा में अनुवाद) नहीं करने से आपका (अजय देवगन का) क्या मतलब है?’’ उनके अनुसार, केंद्र में ‘हिंदी’ भाषी राजनीतिक दल शुरू से ही क्षेत्रीय भाषाओं को खत्म करने का प्रयास करते रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय भाषाओं को ‘‘दबाना’’ शुरू किया था और अब भारतीय जनता पार्टी भी ऐसा ही कर रही है.
बहस में शामिल होते हुए फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा ने कहा कि उत्तर भारतीय सितारे दक्षिण के अपने सहयोगियों से “असुरक्षित” महसूस करते हैं. उन्होंने ट्वीट किया कि उत्तर भारत के सितारे दक्षिण के सितारों से असुरक्षित महसूस करते हैं और ईर्ष्यालु हैं क्योंकि एक कन्नड़ डंिबग फिल्म (केजीएफ-2) ने पहले दिन ही 50 करोड़ रुपए की कमाई की.
दक्षिण की स्टार एवं नेता रमैया ने कहा, ‘‘नहीं – हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है. अजय देवगन, आपकी अज्ञानता चौंकाने वाली है. और यह बहुत अच्छी बात है कि ‘केजीएफ’, ‘पुष्पा’ और ‘आरआरआर’ जैसी फिल्मों ने हिंदी क्षेत्रों में इतना अच्छा प्रदर्शन किया है. कला में भाषा बाधक नहीं होती है. कृपया हमारी फिल्मों का उतना ही आनंद लें जितना हम आपकी फिल्मों का आनंद लेते हैं.’’ देवगन के ट्वीट के बाद सुदीप ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने जिस संदर्भ में बयान दिया था, उसका मतलब पूरी तरह उससे अलग है, जो लोग समझ रहे हैं. अभिनेता ने कहा कि उनकी मंशा किसी को उकसाने या ठेस पहुंचाने या कोई बहस शुरू करने की नहीं थी.
इसके जवाब में देवगन ने ट्वीट किया,‘‘किच्चा सुदीप, आप मित्र हैं, गलतफहमी दूर करने के लिए धन्यवाद. मैं हमेशा से फिल्म उद्योग को एक समझता रहा हूं. हम हर भाषा का सम्मान करते हैं और उम्मीद करते हैं कि हर व्यक्ति हमारी भाषा का भी सम्मान करे. शायद अनुवाद में कुछ गुम हो गया था.’’