संसद ने बजट को मंजूरी दी, वित्त मंत्री ने कहा, यह भरोसेमंद पुनरूद्धार सुनिश्चित करेगा
दिल्ली सरकार के लिए बजट बनाना आसान क्योंकि उसे रक्षा, पुलिस, कृषि पर खर्च नहीं करना : सीतारमण
नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अगले वित्त वर्ष का बजट निजी निवेश आर्किषत करेगा और आने वाले वर्षों में भरोसेमंद आर्थिक पुनरुद्धार सुनिश्चित करेगा. सीतारमण ने राज्यसभा में विनियोग और वित्त विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए मुद्रास्फीति से निपटने के लिये उठाये गये कदमों का भी बचाव किया. उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने नई चुनौतियां पैदा की हैं, जिसमें कच्चे तेल के दाम में तेजी तथा आपूर्ति श्रृंखला में उत्पन्न बाधाएं शामिल हैं.
बाद में राज्यसभा ने सरकार के प्रस्ताव के अलावा बिना किसी बदलाव के विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक को चर्चा के बाद लौटा दिया. इसके साथ ही एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट को मंजूरी से जुड़ी करीब दो महीने चली संसदीय प्रक्रिया पूरी हो गई है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘…हमारे समक्ष नई चुनौतियां हैं. बजट प्रस्तुत करने के दौरान मैंने ओमीक्रोन पर विचार नहीं किया था. अब हमें यूक्रेन में युद्ध के असर का भी सामना करना पड़ रहा है. यह ऐसा नहीं है कि युद्ध दुनिया के किसी कोने में हो रहा है. बल्कि ऐसा जान पड़ता है कि इसका सभी देशों पर वैसा ही प्रभाव पड़ रहा है, जैसा कि महामारी का था.’’ उन्होंने कहा कि युद्ध से मूल्य श्रृंखला प्रभावित हुई है और वैश्विक बाजार ऐसी स्थिति में फंसी है, जहां कुछ भी सामान्य नहीं है.
सीतारमण ने कहा कि 32 देशों ने (ओईसीडी की रिपोर्ट के अनुसार) अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने को कराधान का सहारा लिया. जबकि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने कर में कोई वृद्धि नहीं की. उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए, आप ऐसी स्थिति में हैं, जहां आप महामारी के समय थे. हम पिछले साल बजट लाये और उसके बाद दूसरी लहर आ गयी. इस बार हम निरंतर पुनरुद्धार के मकसद के साथ बजट लाये और तब ओमीक्रोन और अब युद्ध है. इसका असर सभी देशों पर है.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने कोविड महामारी के प्रभाव से निपटने को लेकर संसाधन जुटाने के लिये कराधान का सहारा नहीं लिया.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछले साल पुनरुद्धार की चुनौतियों से निपटने को लेकर संसाधन जुटाने के लिये कोविड कर या किसी अन्य नाम पर कर की दरों में कोई वृद्धि नहीं की. हमने इस बार के बजट में भी यही किया.’’ निजी निवेश का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि महामारी के मद्देनजर सरकार ने अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार और उसे बनाये रखने के लिये एक परिवेश बनाने को लेकर निवेश को बढ़ाया है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘…हमारा मानना है कि अर्थव्यवस्था का विकास सुनिश्चित करने के लिये सरकार और निजी क्षेत्र भागीदार हैं. जब सरकार और निजी क्षेत्र की बात आती है, ‘हम बनाम उनका’ की कोई बात नहीं है.’’ उन्होंने निजी निवेश आर्किषत करने को पीएलआई (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना और पीएम गतिशक्ति जैसे कदमों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सरकार वृद्धि को संतुलित करने की जरूरत को लेकर सचेत है. साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि कोविड के बाद पुनरुद्धार टिकाऊ हो. बजट में इस संदर्भ में प्रतिबद्धता प्रतिंिबबित होती है.
चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने देश में बढ़ती महंगाई का मुद्दा उठाया. इस पर सीतारमण ने कहा कि सरकार मुद्रास्फीति को लेकर सचेत है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि आने वाले दिनों में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) कम होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि सभी अनिश्चितताओं के बावजूद देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 2020-21 में 81.72 अरब डॉलर और 2019-20 में 74.39 अरब डॉलर रहा. उन्होंने कहा कि अंकटाड की रिपोर्ट के अनुसार भारत सर्वाधिक एफडीआई प्राप्त करने वाले शीर्ष पांच देशों में बना हुआ है.
सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार के दिसंबर, 2021 तक सात साल और नौ महीनों के दौरान एफडीआई प्रवाह 500.5 अरब डॉलर रहा. यह पूर्व संप्रग शासन के पूरे 10 साल के कार्यकाल के दौरान कुल एफडीआई के मुकाबले करीब 65 प्रतिशत अधिक है. उन्होंने कहा, ‘‘… यह दर्शाता है कि भारतीय निवेशकों और विदेशी निवेशकों दोनों ने कितनी ईमानदारी से प्रधानमंत्री मोदी सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर भरोसा किया है….’’ केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि 2021-22 के बजट अनुमान में इसके 6.66 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान था. जबकि संशोधित अनुमान के अनुसार इसके 7.45 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान था.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘वास्तव में हमने 8.35 लाख करोड़ रुपये दिए हैं. यह बजटीय अनुमान से 1.69 लाख करोड़ रुपये और संशोधित अनुमान से 90,000 करोड़ रुपये अधिक है.’’ अन्य वित्तीय ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2013-14 से 2022-23 के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा उपकर से 3.77 लाख करोड़ रुपये संग्रह होने का अनुमान है जबकि उपयोग 3.94 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है.
सीतारमण ने कहा कि उपकर का उपयोग मुख्य रूप से राज्यों में चलने वाली केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तपोषण में किया जा रहा है. इसके तहत धन राज्य सरकारों को हस्तांतरित किया जा रहा है.
उन्होंने उन कदमों का भी जिक्र किया जिनका उद्देश्य मध्यम वर्ग के लिए जीवन को आसान बनाना है. इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, सांविधिक भविष्य निधि योगदान और आवास इकाइयों का निर्माण शामिल है. सीतारमण ने एक फरवरी को आम बजट पेश किया था. लोकसभा ने पिछले सप्ताह ही दोनों विधेयकों को मंजूरी दे दी थी.
दिल्ली सरकार के लिए बजट बनाना आसान क्योंकि उसे रक्षा, पुलिस, कृषि पर खर्च नहीं करना : सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) तथा दिल्ली सरकार के ‘आदर्श बजट’ पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा बजट बनाना बहुत बहुत आसान है जब राज्य को पुलिस, रक्षा और कृषि क्षेत्र के लिए खर्च नहीं करना हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि व्याख्यान देने के बदले केजरीवाल सरकार का प्रचार करने के लिए पूरे पृष्ठ पर दिए जाने वाले विज्ञापनों के खर्च पर भी गौर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन नहीं देती है.
वित्त मंत्री ने विनियोग विधेयक, 2022 और वित्त विधेयक, 2022 पर हुई संयुक्त चर्चा का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की.
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस, सेना (रक्षा) और किसानों पर कोई खर्च नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार इसका ख्याल रखती है. इसलिए (दिल्ली सरकार का) बजट अच्छा है.” उन्होंने दिल्ली सरकर द्वारा समाचार पत्रों को दिए जाने वाले पूरे पृष्ठ के विज्ञापनों पर होने वाले खर्च का जिक्र करते हुए कहा, “अगर उस बजट (धन) को बचाया जाता है तो इसका इस्तेमाल दिल्ली में प्रदूषण पर काबू के लिए किया जा सकता है. क्या मुझे यह सीखने की जÞरूरत है? वे हमें व्याख्यान दे रहे हैं….’’ इससे पहल आप सदस्य संजय ंिसह ने चर्चा में भाग लेते हुए केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि वह आम आदमी पार्टी (दिल्ली सरकार के बजट) को देखें, जिससे पता चलेगा कि अच्छा बजट कैसे बनाया जा सकता है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “अगर मैंने उस बजट से सीख ली होती तो रक्षा, खेत और पुलिस बजट किसी और से वित्त पोषित होता. तब बजट बनाना आसान होता.” आप सदस्य ंिसह ने कहा था कि दिल्ली की अरंिवद केजरीवाल नीत सरकार ने हाल ही में बजट पेश किया जिसमें शिक्षा के लिए 22 प्रतिशत और सड़क, परिवहन तथा स्वास्थ्य के लिए 13-13 प्रतिशत की राशि तय की गई है. उन्होंने कहा ‘‘हम बजट की चार प्रतिशत राशि में से दिल्ली के लोगों को 300 यूनिट बिजली मुफ्त मुहैया कराते हैं. अरंिवद केजरीवाल से कुछ सीखिये. आप क्या करते हैं…. फिल्म के पोस्टरों पर राजनीति.’’