वैश्विक परिप्रेक्ष्य को समाहित करने के बावजूद राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जड़ें भारतीयता में : शाह

नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) देश की जड़ों से जुड़ी हुई है और देशभर में इसे अभूतपूर्व स्वीकार्यता मिली है. शाह ने कहा कि एनईपी वैश्विक परिप्रेक्ष्य को आत्मसात करते हुए ‘भारतीयता’ में निहित है और एनईपी ज्ञान एवं संस्कृति को समृद्ध करती है और समाज की आकांक्षाओं के साथ जुड़ी है.

एनईपी लाए जाने के दो साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में शाह ने कहा, ‘‘शिक्षा का उद्देश्य चरित्र, सहानुभूति और साहस का विकास करना और छात्रों को जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करना है. शिक्षा भारत को सफलता के शिखर तक पहुंचने में सक्षम बना सकती है. समाज उम्मीदों के साथ हमारी ओर देख रहा है और इसे पूरा करने की उम्मीद करता है.’’ शाह ने कहा कि हमारी शैक्षिक आकांक्षा ना केवल डिग्री और प्रमाणपत्र अर्जित करने के लिए है, बल्कि पुरी दुनिया की भलाई हासिल करने के लिए भी है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र की जड़ों से जुड़ी हुई है और पूरे देश में इसे अभूतपूर्व स्वीकार्यता प्राप्त हुई.

उन्होंने कहा कि नीति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मजबूत सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली एक सफल लोकतांत्रिक राष्ट्र की नींव है. उन्होंने कहा कि एनईपी का उद्देश्य ऐसे नागरिक तैयार करना है, जो वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ राष्ट्रीय गौरव को वैश्विक कल्याण से जोड़ें. गृह मंत्री ने यह भी कहा कि नयी शिक्षा नीति हमारे मस्तिष्क को औपनिवेशिक बनाने के लिए लागू की गई मैकाले की शिक्षा प्रणाली की काट होगी.

शाह ने एनईपी के दो साल पूरे होने पर शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में कई पहल की शुरुआत की. वर्ष 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित एनईपी ने 1986 में तैयार 34 वर्षीय पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्थान लिया है. इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिए स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में व्यापक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है.

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