न्यायालय ने शरद यादव को 31 मई तक अपना बंगला खाली करने, हलफनामा देने का दिया निर्देश

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव को मानवीय आधार पर संसद सदस्य के रूप में आवंटित सरकारी बंगला खाली करने के लिए 31 मई, 2022 तक का समय दिया. शीर्ष अदालत ने यादव को एक सप्ताह के भीतर एक हलफनामा देने को कहा कि वह तब तक बंगला खाली कर देंगे. एक सप्ताह के भीतर हलफनामा जमा नहीं करने की स्थिति में यादव को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में तत्काल परिसर खाली करना होगा.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘‘वकील को सुनने के बाद, हमारा विचार है कि यह न्यायसंगत होगा अगर मानवीय आधार पर बंगल खाली करने के लिये 31 मई तक का समय दिया जाता है बशर्ते यादव द्वारा यह हलफनामा दाखिल किया जाए कि उस तारीख तक या उससे पहले उनके द्वारा इसे खाली कर दिया जाएगा.

न्यायालय ने कहा, ‘‘आज से एक सप्ताह की अवधि के भीतर शपथ-पत्र दाखिला किया जाएगा, जिसमें विफल रहने पर याचिकाकर्ता इस आदेश का लाभ खो देगा और उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार बंगला तुरंत खाली करने के लिए उत्तरदायी होगा.’’ सुनवाई के शुरुआत में यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता को परिसर खाली करने के लिए उचित समय दिया जाता है, तो इस स्तर पर मामले को सुलझाना संभव हो सकता है.

सिब्बल ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता वर्तमान में गंभीर चिकित्सा स्थिति में है, यादव 31 मई, 2022 तक परिसर खाली करना चाहते हैं और इस आशय का एक वचन पत्र दाखिल करेंगे. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने कहा कि उनको निर्देश हैं कि परिसर खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जा सकता है, लेकिन अधिक से अधिक अदालत अप्रैल के अंत तक समय दे सकती है. उन्होंने दावा किया कि पिछले 15 दिन से यादव सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं.

एएसजी ने कहा कि राज्यसभा से उनकी अयोग्यता के खिलाफ यादव की याचिका को खारिज कर दिया जाता है, तो उन्हें सरकार को बाजार दर किराया देने का निर्देश दिया जा सकता है. सिब्बल ने कहा कि एक विशेष राजनीतिक दल के कई लोग हैं जो सरकारी बंगलों में रुके हैं लेकिन बाजार दर पर कोई किराया नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘वे वर्षों से रह रहे हैं और वे उन घरों को नहीं चाहते हैं लेकिन वे यह (यादव का) घर चाहते हैं.’’ पीठ ने सिब्बल द्वारा उठाए गए ंिबदु पर ध्यान नहीं दिया और यादव की याचिका निस्तारित कर दी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button