प्रौद्योगिकी की मदद से भारत 2047 तक बनेगा विकसित राष्ट्र: मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि भारत बड़े स्तर पर एक आधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि डिजिटल क्रांति का लाभ सभी तक पहुंचे.

मोदी ने आम बजट के बाद आयोजित हो रहे वेबिनार की श्रृंखला में ‘क्षमताओं का दोहन: प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से जीवन सुगमता’ विषय पर कहा कि सरकार छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन लागत कम करना चाहती है. उन्होंने उद्योग से ऐसे अनुपालनों की एक सूची तैयार करने को कहा, जिन्हें खत्म किया जा सकता है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ”हम छोटे व्यवसायों की अनुपालन लागत को कम करना चाहते हैं. क्या आप (उद्योग) अनावश्यक अनुपालनों की एक सूची तैयार कर सकते हैं, जिन्हें खत्म किया जा सकता है. हमने 40,000 अनुपालनों को खत्म कर दिया है.” उन्होंने कहा कि करदाताओं के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए कर प्रणाली को ‘फेसलेस’ बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ”अब आपकी शिकायतों और उनके समाधान के बीच कोई इंसान नहीं है, सिर्फ तकनीक है.” मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी के वजह से ही ‘एक राष्ट्र, एक राशन’ योजना साकार हो सकी. उन्होंने आगे कहा कि जैम त्रयी (जन-धन योजना, आधार और मोबाइल नंबर) ने गरीबों तक लाभ पहुंचाने में मदद की.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 5जी और एआई (कृत्रिम मेधा) जैसी तकनीकों पर चर्चा की जा रही है और ये चिकित्सा, शिक्षा, कृषि और कई अन्य क्षेत्रों को बदलने के लिए तैयार हैं. उन्होंने हितधारकों से आम आदमी के सामने आने वाली 10 ऐसी समस्याओं की पहचान करने को कहा, जिनका समाधान एआई का  इस्तेमाल करके किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी से चलने वाली है और इसे केवल डिजिटल, इंटरनेट प्रौद्योगिकी तक सीमित नहीं रखा जा सकता.

मोदी ने कहा, ”पिछले कुछ वर्षों के हर बजट में प्रौद्योगिकी की मदद से लोगों के जीवन को आसान बनाने पर जोर दिया गया है. इस साल के बजट में भी प्रौद्योगिकी और मानवीय स्पर्श को प्राथमिकता दी गई है.” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के हस्तक्षेप अब कम हो गए हैं और नागरिक सरकार को बाधा नहीं मानते हैं.

प्रधानमंत्री ने ‘मिशन कर्मयोगी’ के तहत प्रशिक्षण प्रक्रिया को अद्यतन रखने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि नागरिकों से मिले फीडबैक के आधार पर किए गए संशोधनों से योजना में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है. मोदी ने एक ऐसी व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया, जहां प्रशिक्षण को बेहतर बनाने के लिए फीडबैक आसानी से हासिल किया जा सके.

उन्होंने ‘डिजिलॉकर सेवा’ का उल्लेख भी किया, जहां कंपनियां और संगठन अपने दस्तावेजों को रख सकते हैं और उन्हें सरकारी एजेंसियों के साथ साझा भी कर सकते हैं. उन्होंने इन सेवाओं का विस्तार करने के तरीके तलाशने का सुझाव दिया ताकि अधिक से अधिक लोगों को इससे फायदा मिल सके.

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने छोटे एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के सामने आने वाली बाधाओं की पहचान करने पर भी जोर दिया.
उन्होंने कहा कि बजट या किसी भी सरकारी नीति की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसे कितनी अच्छी तरह तैयार किया गया है, लेकिन साथ ही लोगों का सहयोग भी जरूरी है.

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